वर्ष 34 : जुलाई-सितंबर 2020
जनकवि अन्ना भाऊ साठे : सुबोध मोरे
वैचारिक चर्चा
सावित्रीबाई फुले रचना-समग्र और दलित चिंतन शिवानी चोपड़ा
ब्राह्मणवाद के विरुद्ध संघर्ष के प्रतीक : पेरियार : विष्णु नागर
वर्ग और जाति की समझ : कार्यवाही के साझा आधार एवं डॉ. आंबेडकर : अजय कुमार और रमाशंकर सिंह
भारत के राजनीतिक यथार्थ के संकट : वैभव सिंह
काव्य चर्चा
कुछ कविता संग्रहों को पढ़ते हुए : कुछ नोट्स : राजेश जोशी
एक अच्छे कवि की सामर्थ्य : मुकेश कुमार
कविता की संभावना और आलोचना के संकट : प्रियदर्शन
कविता की विश्वसनीय आवाज़ें : बसंत त्रिपाठी
श्रेष्ठता के अमानवीय रूपों का सामना करती कविता : बली सिंह
‘अब्दुल की आत्मा के सवाल’ और दलित कविता का वर्तमान : टेकचंद
रिश्तों की धूप और जीवन की भाषा : हृदय कुमार
कहानी चर्चा
कहानी की नयी इबारत : हरियश राय
विद्रूप यथार्थ की तस्वीरों के भिन्न लेंस : बलवंत कौर
आलोचना संवाद
दलित विमर्श संबंधित कुछ पुस्तकों पर चर्चा : चंचल चौहान
मुखौटों से लड़ती कहानी-आलोचना: अंकित नरवाल
कथेतर : यात्रा वृतांत
'सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल' : अनिरुद्ध कुमार
विशेष स्मरण
शब्द और संगीत के स्वर-साधक रमेश रंजक : अजय बिसारिया
कवि रामेश्वर प्रशांत और उनकी कविताएं : नीरज सिंह
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