संस्थापक शिव वर्मा
संपादकीय परामर्श असग़र वजाहत
संपादक मुरली मनोहर प्रसाद सिंह चंचल चौहान
संपादन सहयोग कांतिमोहन ‘सोज़’ रेखा अवस्थी जवरीमल्ल पारख संजीव कुमार हरियश राय बली सिंह
कार्यालय सहयोग मुशर्रफ़ अली
इस अंक की सहयोग राशि साठ ऱपये (डाक ख़र्च अलग)
संपादकीय कार्यालय ख़सरा नं0 258 , लेन नं0 5, चंपा गली, वेस्ट एंड रोड, सैदुल्ला जाब, (साकेत मैट्रो के पास) नयी दिल्ली-110050
Email : jlsind@gmail.com Website : www.jlsindia.online Mobile : 9818859545, 9818577833
प्रकाशन, संपादन, प्रबंधन पूर्णतया ग़ैरव्यावसायिक और अवैतनिक पत्रिका में प्रकाशित विचार लेखकों के अपने हैं जलेस की सहमति आवश्यक नहीं | वर्ष 34 : अक्टूबर-दिसंबर 2020 अनुक्रम संपादकीय स्मृति शेष - जो साथ रहेंगे हरदम विचंश : विद्रोही प्रकृति और प्रतिरोध का जज़्बा : महेश दर्पण विष्णु मेरा दोस्त : कांति मोहन यारों ने कितनी दूर बसायी हैं बस्तियां : असग़र वजाहत मंगलेश डबराल की याद में : विष्णु नागर बना रहेगा चांद सरे आसमां : प्रियदर्शन लाइब्रेरी वाले फ़ारुक़ी साहब : रवीश कुमार वैचारिक विमर्श ‘जाति का विनाश’ हिंदू धर्म से मुक्ति के बिना संभव नहीं है : मुरली मनोहर प्रसाद सिंह काव्य चर्चा गंगा जमनी तहज़ीब के दो शायर : हृदयेश मयंक काव्य-आस्वाद : कुछ स्वगत-कुछ प्रकट : अनूप सेठी स्त्री विमर्श के संभावनापूर्ण पाठ : रेखा अवस्थी समय के साथ बदल रही है कविता : बोधिसत्व समकालीन उर्दू ग़ज़ल का परिदृश्य : रहमान मुसव्विर यथार्थ का पुनर्सृजन ही कविता है : प्रेम तिवारी उपन्यास चर्चा प्रत्यंचा, टिकटशुदा रुक़्क़ा और तिलोका वायकान : राकेश तिवारी अतीत के कालखंडों में वर्तमान की दस्तक : अरविंद कुमार आज के हिंदी उपन्यास के वर्णक्रम के दो छोर : विभास वर्मा कहानी चर्चा हमारे समय की गवाही : संजीव कुमार सभ्यता-समीक्षा की तीन कथा-छवियां : राकेश बिहारी तीन निगाहों से झलकता यथार्थ : रश्मि रावत वैश्वीकरण के दौर में देशज समीकरणों की कहानियां : सत्य प्रकाश सिंह अंतर्ग्रथित यथार्थ की कहानियां : अतुल सिंह कथेतर गद्य : जीवनी साहित्य विमर्श जगमगाती रोशनियां : रविभूषण आलोचना संवाद सिनेमा में साहित्य की ख़ुशबू : नलिन विकास कविता : देशांतर लुईस ग्लुक की पांच कविताएं (अमेरिका) : अनुवाद : झरना मालवीय अल्मोग बेहार की कविताएं (इज़रायल) : अनुवाद : राजेश झा |
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